वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२५ मई २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
जो रोऊँ तो बल घटै, हँसो तो राम रिसाइ |
मन ही माहिं बिसूरणा, ज्यूँ घुँण काठहिं खाइ || (संत कबीर)
प्रसंग:
अगर शान्ति हंसने में नहीं है तो कहाँ है?
रोना तो तनाव था ही और अब हंसना भी?
शान्ति है कहाँ?
मन रोता क्यों रहता है?