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न रोने में, न हँसने में || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

2019-11-28 1 Dailymotion

वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२५ मई २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
जो रोऊँ तो बल घटै, हँसो तो राम रिसाइ |
मन ही माहिं बिसूरणा, ज्यूँ घुँण काठहिं खाइ || (संत कबीर)

प्रसंग:
अगर शान्ति हंसने में नहीं है तो कहाँ है?
रोना तो तनाव था ही और अब हंसना भी?
शान्ति है कहाँ?
मन रोता क्यों रहता है?